कांग्रेस पदाधिकारियों द्वारा रायपुर/डोईवाला विधानसभा के कुछ प्रमुख क्षेत्रों को फ्रीज जोन से मुक्त करने हेतू जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन
देहरादून। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री महेन्द्र सिंह नेगी ‘गुरूजी’ के नेतृत्व में रायपुर और डोईवाला विधानसभा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं व आम जनता ने जिला अधिकारी देहरादून के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तराखंड को ज्ञापन प्रेषित किया। इस ज्ञापन में रायपुर विधानसभा और डोईवाला विधानसभा के कुछ प्रमुख क्षेत्रों—रांझावाला, नथुवावाला, नकरौंदा, बालावाला, तुनवाला, मियांवाला, रायपुर, सौडासरोली, भोपालपानी, कालीमाटी, बढासी, हर्रावाला एवं कुआंवाला को फ्रीज जोन से मुक्त करने की मांग की गई।
फ्रीज जोन घोषित होने के बाद भी कोई महायोजना नहीं बनी
गौरतलब है कि 22 मार्च 2023 को विधानसभा परिसर एवं राजकीय कार्यालय भवनों के निर्माण के लिए इस क्षेत्र को छह माह के लिए फ्रीज जोन घोषित किया गया था। परंतु दो वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बावजूद न तो यह क्षेत्र फ्रीज जोन से मुक्त किया गया और न ही कोई महायोजना तैयार हुई।
कैसे लिया गया था निर्णय?
13 मार्च 2023 को गैरसैंण कैबिनेट के निर्णय के आधार पर अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने 22 मार्च 2023 को इस क्षेत्र को फ्रीज जोन घोषित किया था। इस आदेश के तहत क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण और विकास कार्य तब तक प्रतिबंधित किए गए जब तक महायोजना तैयार न हो जाए। टाउन प्लानर द्वारा ग्लोबल मैकेंजी एजेंसी को छह माह के भीतर मास्टर प्लान तैयार करने का कार्य सौंपा गया था, जिसमें स्पोर्ट्स कॉलेज से सटी 850 बीघा भूमि को विधानसभा परिसर के लिए चिह्नित किया गया था।
महायोजना में देरी और क्षेत्र की समस्याएं
रायपुर क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण संस्थान जैसे—अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, राज्य स्तरीय स्पोर्ट्स कॉलेज, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री, ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स, आईआरडी, डीएएल, डीआरडीओ, मालदेवता पर्यटन स्थल और जौलीग्रांट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मार्ग स्थित हैं। बावजूद इसके, रायपुर को देहरादून से जोड़ने वाली सड़कें तंग और जर्जर हालत में हैं। इन सड़कों को महायोजना में शामिल करने की मांग भी उठाई गई है।
2012 से लंबित योजना
नेगी ने बताया कि इस योजना को 2012 में केंद्र सरकार से सैद्धांतिक स्वीकृति मिली थी। इसके लिए 75 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था, जिसमें 59.90 हेक्टेयर भूमि हेतु केंद्र के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी भी प्राप्त हो चुकी थी। उत्तराखंड सरकार ने इसके लिए 24 करोड़ रुपये से अधिक की राशि केंद्र सरकार को जमा कराई थी, साथ ही एलीफेंट कॉरिडोर के तहत 15.37 करोड़ रुपये भी भारत सरकार के कैम्पा फंड में जमा किए गए थे। लेकिन विभिन्न विभागों के आपसी तालमेल की कमी और देरी के कारण केंद्र सरकार ने अपनी सैद्धांतिक स्वीकृति वापस ले ली। अब राज्य सरकार को इस योजना के लिए नया प्रस्ताव भेजना होगा।
क्षेत्रीय जनता को हो रही परेशानियां
नेगी ने कहा कि राज्य सरकार को पहले इस योजना पर गहन होमवर्क करना चाहिए था, उसके बाद ही फ्रीज जोन घोषित किया जाना चाहिए था। सरकार के इस तुगलकी फरमान से क्षेत्र की जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लोग अपने मकानों के नक्शे पास नहीं करवा पा रहे हैं, विकास कार्य ठप पड़े हैं, और गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग अपनी जमीन भी बेचने में असमर्थ हैं। आवासीय और व्यावसायिक भवनों के निर्माण पर रोक के चलते लोग पिछले दो वर्षों से परेशान हैं।
जनता के आक्रोश की चेतावनी
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री वीरेंद्र पोखरियाल ने कहा कि शासन के इस अलोकतांत्रिक निर्णय से आम जनता को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लोग अपनी जमीन पर मकान तक नहीं बना पा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए, अन्यथा क्षेत्रीय जनता बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
इस मौके पर पूर्व महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा, महिपाल शाह, विजय प्रताप मल, ओम प्रकाश सती, महावीर सिंह रावत, ब्लॉक अध्यक्ष ललित भद्री, मजूला तोमर, पंकज क्षेत्री, महेंद्र सिंह रावत (पार्षद), इलियास अंसारी, सूरज क्षेत्री, अमिल भंडारी (पार्षद) सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे।